लैब होते हैं वो लाजवाब, जो प्यार की खुशबू फैलाएं
नैन कारे-कजरारे ऐसे, जो जग से कालिख चुराएं
बाल वो रेशमी चमकीले, जो तिमिर को दूर भगाएं
गुलाबी रंगत उनकी जो गाल, प्रकृति को रंगीन बनाएं
चुस्तदुरुस्त बदन उनका, जो भुखमरी को जहां से हटाएं
चाल मस्त नशीली उनकी, जो बेसहारों को सहलाएं
वो भोहें होती हैं कमानीदार, जो कभी तेवर न चढ़ाएं
उनकी ठुड्डी होती वो रसभरी, जो मीठा रस बरसाएं
काया स्वस्थ पाते वो, जो रक्तदान करें और करवाएं।
उक्त कविता किसी भी व्यक्ति की अंदरूनी खूबसूरती को खुल कर निखारती है। आजकल सुन्दरता के उत्पाद भी बाज़ार में 'अंदरूनी खूबसूरती' जैसे शब्दों में लपेटकर पेश किये जाने लगे है। पर, इसका अर्थ यह नहीं कि बाहरी सुन्दरता की तरफ ध्यान ही न दिया जाये। इस बाहरी सुन्दरता के लिए तरह-तरह के उत्पाद बाज़ार में उपलब्ध हैं लेकिन अन्दर व बाहर दोनों तरफ की खूबसूरती के कुछ और भी रहस्य हैं। आइये जानें:
1. नींद- हर चौबीस घंटों में आठ घंटे की नींद का बंदोबस्त अवश्य करें। इससे शरीर की थकान, जो चेहरे पर साफ़ झलकती है, दूर होगी तथा अन्दर से कटी-फटी कोशिकाओं का भी नवनिर्माण होगा। आप अपनेआप को तरोताजा पायेंगें।ऐसा अहसास आपको जवां बनाये रखेगा।
2. विश्राम- शांत मन व दिमाग के लिए, शरीर की ऐंठन खोलने के लिए, तनाव कम करने के लिए तथा खुलकर सांस लेने के लिए विश्राम अति आवश्यक है। योग, ध्यान आदि की मुद्राएँ आपको अन्दर व बाहर दोनों तरफ से विश्राम देंगीं।
3. जलाहार- शुद्ध जल न केवल हमारी प्यास बुझाता है बल्कि हमारे शरीर के अन्दर बन रहे विषैले द्रव्यों को पतला करके मूत्र के रूप में बाहर निकाल देता है। इसीलिए एक दिन में 8-10 गिलास पानी अवश्य पियें। अगर गर्मी या धुप में निकलना पड़े तो यह मात्रा बढ़ा दें ताकि शरीर में पर्याप्त नमी बनी रहे।
4. ठोस आहार- कम मात्रा में खाएं लेकिन संतुलित भोजन शरीर की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है। प्रोटीन, विटामिन, कैल्शियम, वसा आदि पोषक तत्व कम मात्रा में लेकिन खाने अवश्य चाहिएं जैसे- हरी पत्तेदार सब्जियाँ, सलाद, सूखे मेवे, ताज़े फल, ताज़े फलों का रस आदि। कूड़ा-कर्कट (जंक फ़ूड), तंबाकू तथा नशीले पदार्थ मूर्ख दुश्मनों के लिए छोड़ देने चाहियें।
5. लेप/मालिश- शरीर की प्राकृतिक स्निग्धता बनाए रखने के लिए सिर व पूरे शरीर की मालिश ज़रूरी है। जैतून, अरंडी, बादाम, नारियल का तेल उत्तम होता है। इससे प्राकृतिक आभा बढती है।
6. नियंत्रण- दिल व दिमाग में चल रही उथल-पुथल चेहरे पर आ कर अपने निशान सदा के लिए छोड़ जाती है। इसलिए कम से कम अपने गुस्से को तो चेहरे से दूर ही रखें क्योंकि एक हज़ार त्योरियों से एक झुर्री बन जाती है।
7. मुस्कराहट- मुस्कराहट एक ऐसा भाव है जो सामने वाले के दिल में आपकी नैसर्गिक सुन्दरता की ऐसी तस्वीर बनाता है जिसकी तरफ वह स्वयं खिंचा चला आता है। अन्दर से आप चाहें कितनी भी परेशान हों पर चेहरे पर हमेशा मुस्कराहट दिखाई देती रहे तो यकीन मानिए दुनिया में आपसे अधिक खूबसूरत कोई दूसरा नहीं।
इसीलिए, सदा मुस्कुराते रहिये। हाँ!!! बिल्कुल इसी तरह!
धन्यवाद
उषा तनेजा